Tuesday 26 May 2020

घड़ी / सीमा बंगवाल


समय के लिए जब बीत जाने जैसा कोई शब्द नहीं था
उसे मापा जाना भी सम्भव नहीं था
मनुष्य की नियति में वह गुज़रता गया

सूर्य के अस्त होने से पहले
लंबे हो चले पेड़ों के साये
अँधेरे के आग़ोश में समाने लगे

सुबह होते ही फिर वे जन्म लेते 
बढ़ते घटते
और फिर शाम तक लुप्त हो जाते

बरसों बाद इसी जतन से राजा सवाई ने जंतर मंतर से
नापे थे रात व दिन के पहर
गुलाबी से शहर में

रात होते ही विशाल आकाश बन जाता
एक आसमानी घड़ी
जिसके उत्तर में ध्रुव के अटल होने के कारण
कसमें खाते प्रेमी जन
वही केंद्र बनता इस घड़ी का
और सितारे रात भर उसके इर्द गिर्द घूमकर
समय का माप रचते

जाने कितने वर्ष बीते
सदियाँ सहस्त्राब्दियों में बदल  गईं
पल से पहर के बीच
अभौतिक समय का एक छोटा सा खण्ड बना घड़ी
जिसने इस भौतिक घड़ी को जन्म दिया

फिर रात के अंधेरों में जब सूर्य देवता कूच कर जाते
दिवस की यह घड़ी लाचार हो जाती
बून्द बून्द टपकती जलबूँदों की तरह
मनुष्य नापता समय

जहाँ जल नहीं था
समय अंजुलि से फिसलती रेत की तरह बीतता गया

गलता गया मोम बनकर
और मोमबत्ती की देह पर बने निशानों में
वह बीते हुए घन्टों को दर्ज करता गया

यह वह दौर था जब कल कारखानों में
समय नापने के यंत्र बन रहे थे

मनुष्य ने बनायी घड़ियाँ
जाना कि चाँद, सितारों, सूरज के अलावा भी कोई और
समय बता सकता है

धरती के स्वर्ग में ढलता रहा समय
महँगी स्विस घड़ियों के आकार में

वेस्टमिंस्टर में ऊँचे टावर की 'बिग बेन'
समय के साथ गाने लगी
प्रेम का संगीत

फिर एक दिन सूरज हमारी कलाइयों पर
घड़ी बनकर चमकने लगा
हमने पहली बार उसकी टिक टिक में
समय को चलते हुए सुना

वहीं दृष्टिबाधित लोगों ने उसका ढक्कन खोलकर
काँटो के स्पर्श से समय को महसूस किया

आज़ादी का समय
गाँधी की जेब में जंजीर से लटकता रहा

ग्रीन विच की दो सटीक घड़ियों के समय अंको को
इंग्लैंड की महारानी ने बना डाला शून्य
अपने महल की सीमा में

डिजिटल से लेकर परमाणु तक
भिन्न भिन्न परिभाषाओं में चलती रही घड़ी की यात्रा

रंगबिरंगी घड़ियों के दृश्य में
भविष्य का समय मुस्कुराएगा
उसके कानों में गूँजेगी घण्टियों की आवाज़

कितना भी बलवान हो जाये समय
अपने नापे जाने के लिए
वह हमेशा घड़ियों का मोहताज़ होगा ।

● सीमा बंगवाल

6 comments:

  1. कितना भी बलवान हो जाये समय
    अपने नापे जाने के लिए
    वह हमेशा घड़ियों का मोहताज़ होगा ।
    सही है --- अच्छी अभिव्यक्ति !

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  2. बहुत सही कह रही संगीता जी ,बहुत ही बढ़िया है

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  3. धन्यवाद आपका💐

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