गगन और वसुधा की दूरी
पूर्णता का बोध कराती
आधे होकर ही अच्छे हैं
पूरे होते तो हम न होते.....
सपनों की गठरी को बांधे
एक एक सपना टूटा मेरा
ख़्वाब हैं तो ही अच्छे हैं
सच होते तो हम न होते....
प्रभा -निशा के बंधन जैसे
दुनिया में सुख दुःख हैं होते
शोक है मन में तो ही अच्छा है
खुशियाँ होती तो हम न होते....
जीवन की राहें थी लंबी
नहीं ठिकाना दूर तलक था
रस्ते तो फिर भी अच्छे हैं
मंज़िल होती तो हम न होते....
प्रेम भँवर में सारे प्राणी
जीवन में संग ढूँढ़ते फिरते
तन्हा हैं तो ही अच्छे हैं
वो मिलता तो हम न होते...
जल की मीन लगाती गोते
बरसों ये प्यासी ही रहती
नदिया बहती तो ही अच्छी है
सागर होते तो हम न होते....
कितनी उम्मीदों के सिर पर
जीवन आते जाते रहते
दिल का मरना ही अच्छा है
जीवन जीते तो हम न होते....
● सीमा बंगवाल
वाह-वाह
ReplyDeleteशुक्रिया
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ReplyDeleteबहुत गहरी बात ...
कितनी उम्मीदों के सिर पर
जीवन आते जाते रहते
दिल का मरना ही अच्छा है
जीवन जीते तो हम न होते....
भावपूर्ण रचना.
धन्यवाद💐
Deleteकितनी उम्मीदों के सिर पर
ReplyDeleteजीवन आते जाते रहते
दिल का मरना ही अच्छा है
जीवन जीते तो हम न होते....
अच्छी रचना !
आभार।
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