Saturday 23 May 2020

धरती आसमान/ सीमा बंगवाल


तुम जब मेरे आसमान बन जाते हो
और मैं तुम्हारी धरती
तुम्हें गर्व होता है कि
तुम दिग दिगन्त तक फैले हुए हो

तुम्हारे पास स्वर्ग है
जहाँ देवता वास करते हैं
तुम अपने अहम में
देवताओं से भी आगे बढ़ जाते हो

लेकिन तुम भूल जाते हो
आसमान केवल एक शब्द है
उसका कोई अस्तित्व नहीं है
न कहीं कोई स्वर्ग है न
कहीं कोई देवता

धरती एक शाश्वत सत्य है
जैसे मैं
आओ अपने गर्व के आसमान से नीचे उतरो

भले ही धरती के बगैर भी
तुम्हें देखा जा सकता हो
तुम्हारा नाम
धरती के लोगों ने ही रखा है ।

● सीमा बंगवाल

4 comments:


  1. लेकिन तुम भूल जाते हो
    आसमान केवल एक शब्द है
    उसका कोई अस्तित्व नहीं है
    न कहीं कोई स्वर्ग है न
    कहीं कोई देवता

    धरती एक शाश्वत सत्य है
    जैसे मैं
    आओ अपने गर्व के आसमान से नीचे उतरो

    भले ही धरती के बगैर भी
    तुम्हें देखा जा सकता हो
    तुम्हारा नाम
    धरती के लोगों ने ही रखा है ।
    वाह वाह ,लाजवाब ,बहुत ही सुंदर

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  2. बहुत कमाल के भाव हैं. सच है ये धरती वालों से ही आसमान का अस्तित्व है, पर वे भूल जाते हैं अपने अहंकार में. सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई.

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    1. आपकी समझ को सलाम....शुक्रिया। ईद मुबारक।

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